“पिता का साया” हिंदी कविता

इस कविता में पिता के प्रेम, त्याग और समर्पण का वर्णन किया गया है। पिता को एक ऐसी छांव कहा गया है जो खुद धूप सहकर बच्चों को सुरक्षित रखती है। उनके कठोर बाहरी स्वरूप के पीछे नर्म दिल और असीम प्रेम छिपा होता है।

कविता में बताया गया है कि पिता अपने सपनों को कुर्बान कर बच्चों के सपनों को पंख देते हैं। उनके त्याग की गहराई मापना आसान नहीं। अंत में, पिता के प्रति सम्मान और उनके चरणों में झुकने का संदेश दिया गया है।

पिता के लिए कविता 🌼

पिता का साया

पिता वो छांव हैं, धूप में जो ठहर जाए,
अपने हिस्से का दुख, हंस के सह जाए।
बिना कहे समझें, हर चिंता की बारीकी,
खुद पथरीले रास्ते, हमें दे राहें नर्म और चिकनी।

पिता वो चट्टान हैं, जिस पर घर टिका है,
सपनों का आसमां भी, उनसे ही खिला है।
आंखों में कठोरता, पर दिल में नमी,
उनके त्याग की गहराई, समझ पाए न कोई जमीं।

हर ख्वाहिश को अपनी, उन्होंने दबा लिया,
ताकि हमारे पंखों को, खुला आसमां मिला।
शब्द कम पड़ जाएंगे, एहसास बयां करने को,
बस प्रेम से झुक जाएं, उनके चरण स्पर्श करने को।

हरिश सिन्‍हा

अर्थ:

पिता का त्याग:

पिता जीवनभर बच्चों की खुशी के लिए निःस्वार्थ त्याग करते हैं।

पिता का प्रेम:

पिता का प्रेम अनकहा और गहरा होता है, जो अक्सर कठोरता की परत में छुपा रहता है।

संरक्षण और मार्गदर्शन:

पिता अपने बच्चों के लिए एक चट्टान की तरह स्थिर रहते हैं और उन्हें सही मार्ग दिखाते हैं।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):

1. कविता में पिता को ‘छांव’ क्यों कहा गया है?

  • क्योंकि पिता खुद धूप सहकर बच्चों को सुरक्षित रखते हैं।

2. कविता का मुख्य संदेश क्या है?

  • पिता के त्याग और प्रेम की गहराई को समझकर उनका आदर करना।

3. कविता में ‘चट्टान’ का क्या अर्थ है?

  • चट्टान, पिता की मजबूती और जीवन में स्थिरता का प्रतीक है।

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