ममता की छांव – दीदी, हिंदी कविता

इस कविता में दीदी के प्यार, देखभाल, और उनकी भूमिका को सराहा गया है। दीदी न केवल एक बहन हैं, बल्कि एक मार्गदर्शक, संरक्षक, और ममता की मूरत भी हैं।

ममता की छांव – दीदी

तेरी हंसी में बहारें छिपी हैं,
तेरी डांट में दुलार की नमी है।
दीदी, तू तो ममता की मूरत है,
तेरी हर बात में स्नेह की सुगंध है।

जब भी डगमगाए मेरे कदम,
तूने थाम लिया मुझे हरदम।
तेरे शब्दों में है वो जादू,
जो हर दर्द को देता है आराधू।

तेरी आंखों में मेरे सपने बसते,
तेरे दिल में मेरी हर चाह सजी रहती।
दीदी, तू मेरा पहला सहारा,
तेरे बिना जीवन अधूरा हमारा।

अर्थ:

यह कविता दीदी की उस भूमिका को व्यक्त करती है जो वे अपने छोटे भाई-बहनों के जीवन में निभाती हैं। उनकी डांट में भी प्यार और स्नेह छिपा होता है। वे हर मुश्किल समय में सहारा बनती हैं और अपने भाई-बहनों के सपनों को अपना सपना मानकर उन्हें साकार करने में मदद करती हैं।

FAQ: दीदी पर कविता के बारे में सामान्य प्रश्न

  1. इस कविता का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    यह कविता दीदी के प्रति आभार और स्नेह व्यक्त करने के लिए लिखी गई है।
  2. क्या यह कविता किसी विशेष अवसर के लिए है?
    यह कविता रक्षाबंधन, जन्मदिन, या दीदी के प्रति सम्मान व्यक्त करने के किसी भी मौके पर सुनाई जा सकती है।
  3. क्या यह कविता हर आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है?
    हां, यह कविता हर आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है क्योंकि यह एक सार्वभौमिक संबंध की भावना को व्यक्त करती है।
  4. क्या इसे दीदी को समर्पित कर सकते हैं?
    बिलकुल! यह कविता दीदी के प्रति आपके प्रेम और सम्मान को व्यक्त करने का एक सुंदर तरीका है।

Leave a Comment