यह कविता विद्यालय को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण स्थान बताती है। विद्यालय न केवल शिक्षा प्रदान करता है, बल्कि संस्कार, नैतिकता और मित्रता का भी पाठ पढ़ाता है। यहाँ बच्चों को उनकी असली प्रतिभा पहचानने और सपनों को उड़ान देने का अवसर मिलता है। शिक्षकों की मेहनत और मार्गदर्शन से विद्यार्थी अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाते हैं। कविता विद्यालय को “ज्ञान का मंदिर” मानते हुए इसे एक ऐसा स्थान बताती है, जो हर व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाता है।
कविता: विद्यालय – ज्ञान का मंदिर
विद्यालय हमारा स्वर्ग सा प्यारा,
ज्ञान का दीपक यहाँ जलता निरंतर सारा।
सपनों को पंख देता, उड़ान यहाँ मिलती,
मित्रता और संस्कार की सौगात यहाँ खिलती।
पढ़ाई, खेल और नैतिकता का मेल,
हर बच्चा यहाँ पाता उज्ज्वल भविष्य का तेल।
शिक्षकों का प्यार, उनकी सीख महान,
विद्यालय से ही बनता है इंसान।
यह जीवन की पहली सीढ़ी,
जो दिखाती है सफलता की बड़ी लड़ी।
विद्यालय में है अद्भुत जादू,
जो हर बच्चे को बनाता सच्चा और सजीव मानव।
अर्थ
इस कविता का अर्थ यह है कि विद्यालय एक ऐसा स्थान है, जहाँ केवल पाठ्यपुस्तक का ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाई जाती है। यह बच्चों के लिए वह नींव है, जो उनके उज्ज्वल भविष्य की इमारत को मजबूत बनाती है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. कविता का मुख्य संदेश क्या है?
विद्यालय केवल पढ़ाई का नहीं, बल्कि संपूर्ण व्यक्तित्व विकास का स्थान है।
2. विद्यालय को “ज्ञान का मंदिर” क्यों कहा गया है?
क्योंकि यहाँ बच्चों को शिक्षा, संस्कार और जीवन मूल्यों की सीख मिलती है।
3. कविता किस तरह से प्रेरणादायक है?
यह कविता विद्यालय के महत्व को उजागर करती है और बच्चों को ज्ञान की शक्ति पर विश्वास दिलाती है।