“बहन: स्नेह की मूरत”

यह कविता बहन के अद्भुत प्रेम, त्याग और ममता को व्यक्त करती है। बहन का रिश्ता न सिर्फ खून का होता है, बल्कि वह दोस्त, मार्गदर्शक और संबल भी होती है। कवि ने बहन को स्नेह की नदी और घर की रौनक बताया है, जो हर कठिन समय में सहारा देती है।

वह हमारे बचपन की साथी और खुशियों की साझीदार है। उसकी मुस्कान घर को उजाला देती है और उसका प्यार जीवन को मधुर बनाता है। यह कविता बहन के अद्वितीय योगदान को सलाम करती है और उसे जीवन का अभिन्न अंग मानती है।

बहन पे कविता

बहन वो स्नेह की नदी है,
जो हर दुःख में साथ खड़ी है।
माँ की तरह दुलार देती,
दोस्त बनकर प्यार देती।

उसकी मुस्कान सवेरा लाए,
दुखों के बादल छंट जाएं।
उसकी बातें हों मीठी सी,
जैसे खुशबू हो भीनी सी।

बचपन के खेलों की साथी,
हर खुशी में शामिल रहती।
कभी डांटे, कभी मनाए,
हर मुश्किल को सहज बनाए।

त्याग, ममता, स्नेह की मूरत,
वो है घर की प्यारी दौलत।
रिश्तों का सुंदर एहसास,
बहन का प्यार है खास।

दिल की धड़कन, घर की रौनक,
हर दिल से निकले उसका शुक्र।
ओ बहना, तेरी ममता अमर,
तुझसे जुड़ी हर याद अमूल्य।

अर्थ

बहन: स्नेह, ममता और त्याग की प्रतिमूर्ति
कविता में बहन को परिवार की धुरी के रूप में दर्शाया गया है। उसकी ममता माँ की तरह होती है और वह अपने भाई-बहनों के लिए हमेशा खड़ी रहती है। बचपन से लेकर बड़े होने तक, वह अपने रिश्तों को प्यार और समझदारी से निभाती है। उसका त्याग और स्नेह रिश्तों को मजबूत करता है। वह केवल एक रिश्ता नहीं, बल्कि जीवन में ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. इस कविता में बहन को किस रूप में दर्शाया गया है?
कविता में बहन को स्नेह, ममता और त्याग की मूरत के रूप में चित्रित किया गया है।

2. इस कविता का मुख्य संदेश क्या है?
यह कविता बहन के महत्व, उसके त्याग और रिश्ते में उसकी अहमियत को उजागर करती है।

3. कविता में कौन-कौन से पहलू शामिल हैं?
इसमें बचपन की यादें, बहन का प्यार, उसका समर्थन और उसकी मुस्कान का उल्लेख है।

4. यह कविता किसे समर्पित की जा सकती है?
यह कविता हर उस बहन को समर्पित है जो अपने परिवार के लिए निःस्वार्थ भाव से जीती है।

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