विवाह पर कविता:”सात फेरों का बंधन”

यह कविता विवाह के शुभ अवसर पर दो आत्माओं के मिलन और नए जीवन की शुरुआत को दर्शाती है। इसमें विवाह के दौरान की खुशियों, रस्मों और सात फेरों के वचनों का उल्लेख है। विवाह केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का भी मिलन है। दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे के साथ जीवनभर साथ निभाने का प्रण लेते हैं।

हर रस्म, हर फेरा उनके अटूट बंधन को और मजबूत करता है।

कविता:

सजी महफ़िल में खिले फूलों की तरह,
खुशियाँ बिखरीं हैं हर गली और डगर।
दुल्हन के सपनों में सजते हैं रंग,
दूल्हे की आँखों में उमंग के संग।

मंगल गीतों की गूँज है चारों ओर,
पंडित के मंत्रों से गूँजता हर छोर।
सात फेरे लेते दो दिल, दो जान,
जीवन का करते संग-साथ का प्रण।

हाथों में हाथ, वचन निभाने का नाता,
हर मुश्किल घड़ी में संग चलने का वादा।
नई शुरुआत, नए रिश्ते का बंधन,
प्यार से भरे इस जीवन का अभिनंदन।

अर्थ (Meaning):

यह कविता विवाह के पवित्र बंधन को दर्शाती है। विवाह न केवल एक परंपरा है बल्कि एक ऐसा वादा है जिसमें दो लोग जीवनभर एक-दूसरे का साथ निभाते हैं। सात फेरे, जो विवाह की आत्मा हैं, हर फेरा एक विशेष वचन और जिम्मेदारी को दर्शाता है। शादी में खुशियाँ, परिवारों का मिलन, और भविष्य के सपनों का संजोना, सब शामिल होते हैं।

Frequently Asked Questions (FAQ)

1. कविता में विवाह को किस रूप में प्रस्तुत किया गया है?
कविता में विवाह को दो आत्माओं और दो परिवारों के पवित्र मिलन के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

2. सात फेरों का क्या महत्व है?
सात फेरे विवाह के दौरान लिए जाने वाले सात वचन हैं, जो जीवनभर एक-दूसरे का साथ निभाने और हर परिस्थिति में साथ देने का संकल्प लेते हैं।

3. यह कविता किन भावनाओं को व्यक्त करती है?
यह कविता विवाह की खुशी, प्रेम, विश्वास और नई शुरुआत की उम्मीदों को व्यक्त करती है।

4. विवाह का सबसे मुख्य संदेश क्या है?
विवाह का मुख्य संदेश यह है कि दो लोग आपसी प्रेम, विश्वास और सम्मान के साथ जीवनभर एक-दूसरे का साथ देते हैं।

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