सूरदास द्वारा रचित “मैया मोहि मैं नहीं माखन खायो” बाल-कृष्ण की बाल-लीलाओं का एक सजीव चित्रण है। इस पद में बालकृष्ण अपनी माँ यशोदा के सामने खुद पर लगे माखन चोरी के आरोप को नकारते हुए अपनी मासूमियत और चंचलता का प्रदर्शन करते हैं।
कविता (मूल पद)
मैया मोहि मैं नहीं माखन खायो।
ख्याल परै ये सखा सबै मिलि, मोहि अंगुरि दियो चलायो॥
छींके पर गाढ़ो माखन राख्यो, वाके ऊपर वारि लगायो।
पहिरि सिखौं तौका कैसे धारौं, जथानौहिं वाको उतरायो॥
मैया मोहि मैं नहीं माखन खायो।
तू जा बेगिनि सखा सबै संग, तोहिं कपट कियो धायो॥
देखि तहाँ यह बात न मान्यौ, ठगनि करि वे बैर जमायो।
तौ लगि माता दधि-भाण्ड फोर्यौ, तेहि खल बस फिरि आयो॥
मैया मोहि मैं नहीं माखन खायो।
पद की व्याख्या
1. कृष्ण का पक्ष:
कृष्ण अपनी माँ यशोदा से बड़ी मासूमियत से कहते हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया। बल्कि, उनके सखा ही उन्हें इस मामले में फंसा रहे हैं। वे दावा करते हैं कि उनके दोस्तों ने मिलकर उनकी उंगली पकड़ी और सारा दोष उन पर डाल दिया।
2. माखन चोरी की घटना:
कृष्ण आगे बताते हैं कि माखन तो ऊँचाई पर लटकते छींके में रखा था, जिसके ऊपर पहरा भी लगाया गया था। ऐसे में वे कैसे उसे चुरा सकते हैं? उनकी बालसुलभ तर्क-वितर्क इस पूरे संवाद को बेहद रोचक बनाते हैं।
3. सखाओं का कपट:
कृष्ण अपनी माँ को समझाने की कोशिश करते हैं कि उनके सखा ने झूठ बोलकर उन्हें फंसाने की कोशिश की। इसके बावजूद यशोदा को उन पर विश्वास नहीं होता, और वे शरारती शिकायतों पर हँसते हुए चुपचाप कृष्ण की बातें सुनती हैं।
4. वात्सल्य का भाव:
इस पद में यशोदा और कृष्ण के बीच माँ-बेटे के रिश्ते की गहराई दिखती है। कृष्ण की मासूम सफाई और यशोदा का स्नेह पाठकों को कृष्ण की बाल-लीलाओं में खो जाने को मजबूर कर देता है।
सारांश:
सूरदास का यह पद केवल कृष्ण की नटखट प्रवृत्ति का वर्णन नहीं है, बल्कि यह वात्सल्य रस का सजीव चित्रण है। इसमें बालकृष्ण की भोली-भाली चपलता के साथ-साथ एक माँ के अपने बेटे के प्रति असीम प्रेम और स्नेह को दर्शाया गया है। यह रचना कृष्ण की बाल-लीलाओं को अमर बना देती है और पाठकों को आनंदित करती है।
सूरदास के पद “मैया मोहि मैं नहीं माखन खायो” से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQ):
प्रश्न 1: इस पद का मुख्य भाव क्या है?
उत्तर: इस पद का मुख्य भाव बाल-कृष्ण की मासूमियत और नटखट स्वभाव का चित्रण है। कृष्ण अपनी माँ यशोदा के सामने माखन चोरी के आरोप को नकारते हुए अपनी सफाई देते हैं। यह पद वात्सल्य रस से भरपूर है और माँ-बेटे के अनोखे रिश्ते को उजागर करता है।
प्रश्न 2: सूरदास ने इस पद के माध्यम से कौन-से गुण प्रकट किए हैं?
उत्तर: सूरदास ने इस पद में भगवान श्रीकृष्ण के बाल-रूप की चपलता, मासूमियत, चतुराई और नटखट स्वभाव को प्रभावशाली ढंग से चित्रित किया है। साथ ही, इसमें माता यशोदा के प्रेम और दया का भाव भी झलकता है।
प्रश्न 3: पद में ‘छींके’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: ‘छींके’ का अर्थ है माखन रखने का एक ऊँचा स्थान या बर्तन, जिसे ऊँचाई पर इस तरह बांधा जाता था कि बच्चे आसानी से उसे छू न सकें।
प्रश्न 4: सूरदास ने इस पद में किस रस का उपयोग किया है?
उत्तर: इस पद में मुख्य रूप से वात्सल्य रस का उपयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त, बाल-कृष्ण की नटखट लीला में हास्य रस की भी झलक मिलती है।
प्रश्न 5: “मैया मोहि मैं नहीं माखन खायो” पद का क्या महत्व है?
उत्तर: यह पद भक्तिकाल के अद्वितीय कवि सूरदास की काव्यशैली और भगवान कृष्ण की बाल-लीलाओं को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पद कृष्ण भक्ति परंपरा में लोकप्रिय है और वात्सल्य भाव को चरम पर पहुँचाने वाला उदाहरण है।