बचपन के दिन बच्चों की हिंदी कविता

इस कविता में बचपन के सरल, मासूम और खुशहाल पलों का वर्णन किया गया है। तितलियों के साथ खेलना, कागज़ की नाव बनाना, और चंदा मामा की कहानियां सुनना, यह सब बचपन के सुनहरे पल हैं। यह कविता हमें उन मीठी यादों में ले जाती है, जहां हर दिन एक नया उत्सव होता था।

बचपन के दिन

छोटी-छोटी बातें प्यारी,
हंसने की वो रस्में सारी।
तितली के संग भागे दौड़े,
आंगन में सपनों को जोड़े।

चंदा मामा की कहानी,
तारों संग थी दोस्ती पुरानी।
कागज़ की नावें पानी में बहतीं,
सपनों की दुनिया हर दिन कहतीं।

मिट्टी से खेलें, बालू बनाएं,
पेड़ के नीचे छांव में जाएं।
बचपन का वो सुंदर जीवन,
हर दिन लगता था एक उत्सव।

सादा जीवन, मीठे सपने,
बचपन के दिन कैसे अपने।
आओ बच्चों, मस्ती करें,
खुशियों के संग जादू भरें।

अर्थ:

कविता “बचपन के दिन” बच्चों के सरल और निर्दोष जीवन की झलक दिखाती है। इसमें बच्चों की छोटी-छोटी खुशियों को दर्शाया गया है, जैसे मिट्टी में खेलना, पेड़ के नीचे छांव में बैठना और सपनों में खो जाना। कविता यह संदेश देती है कि बचपन की मासूमियत और सादगी जीवन का अनमोल हिस्सा है, जिसे संजोकर रखना चाहिए।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):

1. इस कविता का उद्देश्य क्या है?
इस कविता का उद्देश्य बचपन की मासूमियत और उसकी खुशियों को याद दिलाना है।

2. कविता किसके लिए लिखी गई है?
यह कविता विशेष रूप से बच्चों के लिए लिखी गई है, लेकिन इसे बड़े भी पढ़ सकते हैं ताकि वे अपने बचपन को याद कर सकें।

3. कविता में कौन-कौन से खेलों का वर्णन किया गया है?
कविता में तितलियों के साथ भागने-दौड़ने, कागज़ की नाव पानी में बहाने और मिट्टी से खेलने का वर्णन किया गया है।

4. कविता से हमें क्या सीख मिलती है?
कविता यह सिखाती है कि बचपन की मासूमियत और सादगी को महत्व देना चाहिए और अपनी यादों को हमेशा संजोकर रखना चाहिए।

Leave a Comment