“संगिनी: जीवन की साझी राह” हिन्दी कविता

यह कविता एक पत्नी के प्रति प्रेम, सम्मान और उसके महत्व को व्यक्त करती है। इसमें पत्नी को जीवन की संगिनी और संघर्षों में साथी बताया गया है। उसका अस्तित्व केवल एक जीवनसाथी तक सीमित नहीं है, बल्कि वह जीवन की हर कठिनाई में प्रेरणा और संबल प्रदान करने वाली शक्ति है।

संगिनी कविता

संगिनी, तुम हो मेरा आधार,
जीवन में उजियारा हर बार।
तेरी मुस्कान से खिला जहां,
तेरा साथ सदा मेरा गहना।

दुख-सुख के हर पड़ाव में,
तुम संग हो जैसे बहार में।
तुम्हारी बातें सजीव करतीं,
हर मुश्किल को सरल बनातीं।

संगिनी, तुम जीवन की धारा,
प्रेम का मधुर, अटूट सहारा।
तुम्हारे बिना यह सफर अधूरा,
तुम हो मेरा सपना पूरा।

अर्थ:

कविता में यह समझाया गया है कि पत्नी केवल एक व्यक्ति नहीं है, बल्कि वह जीवन का ऐसा हिस्सा है, जो हर परिस्थिति में साथ देती है। वह पति के लिए एक साथी, प्रेरणा और संबल का प्रतीक है। कविता उसके योगदान को सराहने और उसके महत्व को समझने का प्रयास करती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

  1. इस कविता में “संगिनी” का क्या अर्थ है?
    “संगिनी” का अर्थ है जीवनसाथी, जो हर परिस्थिति में साथ देती है और जीवन को सुखद बनाती है।
  2. यह कविता किस प्रकार का संदेश देती है?
    यह कविता पति-पत्नी के संबंधों की गहराई और सम्मान को दर्शाती है।
  3. क्या यह कविता केवल पत्नी के लिए है?
    यह कविता जीवनसाथी के रूप में पत्नी को समर्पित है, लेकिन इसका संदेश सभी साझेदारियों में लागू हो सकता है।
  4. कविता का प्रेरणा स्रोत क्या है?
    यह कविता जीवन में एक संगिनी के महत्व और उसके प्रति कृतज्ञता से प्रेरित है।

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